अल्लाह के संदेशवाहक और पैग़म्बर
हम अक्सर देखते हैं की जब किसी इंसान को कोई ज़रूरी बात किसी दुसरे इंसान तक पहुचांनी होती है (जिसे हम सन्देश या पैग़ाम भी कहते हैं ) तो वह अपनी बात किसी भरोसे के आदमी से कह देता है और वह आदमी उसकी बात को सुनकर दूसरे आदमी को सुना आता है ।
इस भरोसे के इंसान को हम हिंदी में सन्देशवाहक या सन्देश ले जाने वाला और फ़ारसी में पैग़म्बर और अरबी में रसूल कहते हैं ।
ऐसे ही जब अल्लाह ने चाहा कि अपने बन्दों को अपने काम की बात और पैग़ाम की खबर दें तो उसने अपनी मेहरबानी से अपने किसी चहेते और प्यारे बन्दे को इस काम के लिए चुना और उसी का नाम अल्लाह का सन्देश पहुँचाने वाला और रसूल रखा ।
अल्लाह के पैग़म्बरों का काम
अल्लाह के इन संदेशवाहको का काम यह है की वह अल्लाह की बात उसके बन्दों तक पहुँचाते हैं और उन्हें बताते हैं की तुम्हे पैदा करने वाला अल्लाह तुमसे क्या चाहता है, अल्लाह तुम्हे किन कामों के करने का तुम्हे हुक्म देता है और वह किन कामों से मना करता है ।
जो बन्दे उसका कहा मानते हैं वह उनसे खुश होता है और जो नहीं मानते उनसे वह नाराज़ होता है ।
अल्लाह के पैग़म्बरों का लम्बा सिलसिला
अल्लाह ने जब यह दुनिया बनाई और उसमे इंसानों को बसना चाहा तो सबसे पहले जिस आदमी को उसने अपनी क़ुदरत (ताक़त ) से पैदा किया उसका नाम उसने आदम रखा ।
उन्ही आदम से आज तक सारे इंसान पैदा होते चले आ रहे हैं ।
उसी पहले इंसान आदम से अल्लाह ने अपने बन्दों को अच्छी बातें सिखाने और बुरी बातों से रोकने के लिए अपने संदेशवाहकों और पैग़म्बरों का सिलसिला शुरू किया जो कि आखिरी पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद ﷺ तक जारी रहा और अब हज़रत मुहम्मद ﷺ के बाद न कोई पैग़म्बर आया है और न क़यामत तक कोई आयेगा ।