हज़रत मुहम्मद की बुनियादी शिक्षा क्या है ? इस्लाम क्या सिखाता है ?

इस्लाम का मतलब क्या है ?

जिस तअलीम (शिक्षा) को लेकर हज़रत मुहम्मद (सल्ल०) भेजे गये उसका नाम “इस्लाम” है। इस्लाम का अर्थ यह है कि “अपने को खुदा के हवाले कर देना और उसके हुक्म के सामने अपनी गर्दन झुका देना”।

जो इस्लाम को मान लेता था उसको मुस्लिम कहते थे। यानी खुदा के आदेशों को मानने वाला और उसके अनुसार चलने वाला को हम उसको इस्लामी भाषा में मुसलमान कहते हैं ।

इस्लाम में तौहीद किसे कहते हैं ?

इस्लाम का सबसे पहला आदेश यह था कि अल्लाह एक है उसका कोई साथी और साझी नहीं।

जमीन से आसमान तक उसी का राजपाट है।

सूरज उसी के आदेश से निकलता है और डूबता है।

ज़मीन उसी के आदेश का पालन करने वाली, और आसमान उसी के इशारे को मानने वाला है।

फूल, फल, पेड़, पौधे अनाज सब उसी के उगाये हुए हैं नदी पहाड़ जंगल सब उसी के बनाये हुए हैं।

न उसकी कोई औलाद है न बीवी न माँ बाप है न कोई उसके बराबरी का है।

दुख, दर्द सब वही देता है और वही दूर करता है, हर भलाई और खुशी वही देता है वही छीन सकता है।

इस्लाम के इस अकीदा (आस्था) का नाम तौहीद है और यही इस्लाम के कलिमा का पहला हिस्सा है।

ला इलाहा इल्लल्लाह

यानी -अल्लाह के सिवा कोई पूजने के लायक नहीं और न उसके सिवा किसी और का आदेश चलता है।

फ़रिश्ते कौन होते हैं ?

अल्लाह ने आसमान और ज़मीन के कामों को वक्‍त पर सही से करने के लिए बहुत से ऐसी मख़्तूकात (प्राणी) बनाई हैं जो हम को नज़र नहीं आती।

यह फरिश्ते हैं जो रात दिन अल्लाह के आदेशों को पूरा करने मे लगे रहते हैं। उनमें कोई निजी शक्ति नहीं है जो कुछ है वह अल्लाह के देने से है और यह इस्लाम के अकीदे (आस्था) का दूसरा हिस्सा हैं।

रसूल कौन होते हैं ? 

इस्लाम की तीसरी आस्था यह है कि अल्लाह के जितने रसूल आये हैं वह सब सच्चे और अल्लाह के भेजे हुए हैं और सबकी तअलीम (शिक्षा) एक ही थी और सबसे बाद में दुनिया के आखिरी रसूल पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल०) आये हैं।

अल्लाह की किताबें क्या हैं ?

इस्लाम की चौथी आस्था यह है कि रसूल जो किताबें तौरात, जबूर, इन्जील, कुर्आन आदि लेकर आये हैं वह सब सच्ची हैं।

मरने के बाद फिर जिंदा किया जाना

पाँचवा यह है कि मरने के बाद हम फिर कियामत (महाप्रलय) में जी उठेगें और खुदा के सामने लाये जाएगें और वह हमको हमारे कामों का बदला देगा।

इस्लाम और ईमान क्या है ?

यही पाँच बातें इस्लाम का असली अकीदा और ईमान (आस्था) हैं, जिनका हर मुसलमान यकीन करता है। उन्हीं बातों को मुख्तसर (संक्षिप्त) करके इन दो वाक्यों में कहा जाता है और जिनके ज़बान से कहने और दिल से यकीन करने को ईमान कहते हैं।

ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मदुर रसूलुल्लाह

कोई इबादत के लायक नहीं सिवाय अल्लाह के, मुहम्मद (सल्ल०) अल्लाह के भेजे हुए रसूल हैं।

हज़रत मुहम्मद (सल्ल०) को इन्ही बातों को फैलाने और लोगों को समझाने का आदेश हुआ।

आगे पढ़ें
पिछला पढ़ें 

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version