जॉर्ज बर्नार्ड शॉ (1856-1950) 17वीं शताब्दी के बाद से सबसे महत्वपूर्ण ब्रिटिश नाटककार थे, और 1925 में उन्हें साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार भी दिया गया था । उनके नाटकों में सामाजिक सुधार के प्रति उनकी गहरी सोच की झलक साफ़ दिखाई देती है।
जॉर्ज बर्नार्ड शॉ इस्लाम के आखिरी पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद ﷺ से बहुत प्रभावित थे और वह अपने विशेष अंदाज़ में इस्लाम के बारे में अपनी किताब “The Genuine Islam” में लिखते हैं:
“अगर किसी भी धर्म में अगले सौ वर्षों के भीतर सिर्फ इंग्लैंड नहीं बल्कि पुरे यूरोप पर शासन करने की क्षमता है तो वह सिर्फ इस्लाम ही हो सकता है।”
जॉर्ज बर्नार्ड शॉ इस्लाम के पैगंबर हज़रत मुहम्मद के बारे में लिखते हैं:
“मैंने हमेशा हज़रत मुहम्मद के धर्म (इस्लाम)को उसकी अद्भुत शक्ति के कारण उच्च स्थान में रखा है ।
यही वह एकमात्र धर्म है जिसके अन्दर वह ताक़त है जो बदलते वक़्त और हालात के साथ चल सकता है और हर ज़माने के लोगो को आकर्षित कर सकता है ।
मैंने उस महान व्यक्ति (मुहम्मद)का अध्ययन किया है – वह एक अद्भुत व्यक्ति हैं और मेरी राय में उन्हें क्राइस्ट-विरोधी कहना तो बहुत दूर की बात है बल्कि हज़रत मुहम्मद को मानवता का रक्षक कहा जाना चाहिए। ”
पैगंबर मुहम्मद के बारे में वे आगे कहते हैं:
“मुझे विश्वास है कि अगर हज़रत मुहम्मद जैसा आदमी इस आधुनिक दुनिया पर शासन करेगा तो वह इस दुनिया की तमाम समस्याओं को इस तरह से हल करने में सफल हो जायेंगे की पूरी दुनिया में शांति और खुशी होगी ।
मैंने हज़रत मुहम्मद के धर्म (इस्लाम) के बारे में भविष्यवाणी की है कि यह कल के यूरोप के लिए भी उतना ही स्वीकार्य होगा जितना यह आज के यूरोप के लिए स्वीकार्य होता जा रहा है। ”