हज़रत मुहम्मद के दादा हज़रत अब्दुल मुत्तलिब
हाशिम ने अपनी शादी मदीना के शहर में बनू नज्जार के खानदान में की। उससे एक लड़का पैदा हुआ जिसका असली नाम शैबः था, मगर अब्दुल मुत्तलिब के नाम से मशहूर हुए ।
अब्दुल मुत्तलिब ने भी जवान होकर बड़ा नाम पैदा किया। काबा का इन्तिज़ाम भी उनको मिला । काबा में हज़रत इब्राहीम (अलै०) के ज़माने का एक कुआँ था जिसका नाम “ज़मज़म” था। यह कुआँ बहुत दिनों से पड़ा-पड़ा पट गया था। अब्दुल मुत्तलिब ने उसको साफ कराके उसको फिर सही कराया।
हज़रत मुहम्मद के दादा अब्दुल मुत्तलिब की और औलादें
अब्दुल मुत्तलिब बड़े खुश नसीब थे, उम्र भी बड़ी पाई। दस जवान बेटे थे। उनमें पाँच किसी न किसी वजह से बहुत मशहूर हुए – अबू लहब, अबू तालिब, अब्दुल्लाह, हम्ज: और अब्बास।
हज़रत मुहम्मद के बाप हज़रत अब्दुल्लाह
इन बेटों में अपने बाप के सबसे चहेते और प्यारे और उम्र में सबसे छोटे बेटे अब्दुल्लाह थे। यह सत्रह बरस के हुए तो बनी जुहरः नाम के क़ुरैश के एक दूसरे इज्ज़तदार ख़ानदान की लड़की से उनकी शादी हुई। उनकी बीवी का नाम आमिना था। अब्दुल्लाह शादी के बाद बहुत कम जिन्दा रहे थोड़े ही दिनों के बाद आपकी मौत हो गई।
हज़रत मुहम्मद की पैदाइश (जन्म)
अब्दुल्लाह के मरने के कुछ महीनों के बाद हज़रत आमिना के बच्चा पैदा हुआ | जिसका नाम “मुहम्मद” सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम रखा गया।
यही वह बच्चा है जो कि अल्लाह का आख़िरी रसूल और पैग़म्बर है, जिसके पैदा होने की दुआ हज़रत इब्राहीम (अलै०) ने अल्लाह से माँगी थी और हज़रत ईसा (अलै०) ने अपने बाद उसके आने की खुशखबरी सब को सुनाई थी और जो सारी दुनिया की कौमों का रसूल बनने वाला था ।
आप की पैदाइश 12 तारीख को रबीउल अब्वल के महीने में पीर (सोमवार) के दिन हज़रत ईसा (अलै०) के 571 बरस के बाद हुई । सब घर वालो को इस बच्चे की पैदा होने से बड़ी खुशी हुई।