भारत के प्रसिद्ध राष्ट्रवादी नेता महात्मा गांधी (1869-1948) पैगंबर मुहम्मद के व्यक्तित्व और मिशन से गहराई से प्रभावित थे। वह इस्लाम के पैगंबर हज़रत मुहम्मद के बारे में अधिक से अधिक जानना और पढ़ना चाहते थे। महात्मा गांधी श्रद्धापूर्वक पैगंबर मुहम्मद के लिए कहते हैं:
“मैं लाखों मानव जाति के दिलों पर अविवादित बोलबाला रखने वाले (मुहम्मद) के जीवन को बहुत अच्छे से जानना चाहता था।
मुझे पहले से कहीं अधिक यकीन हो गया कि इस्लाम तलवार के दम पर नहीं फैला था।
यह पैग़म्बर मुहम्मद की कठोर सादगी थी, पैगंबर की पूरी आत्म-प्रतिष्ठा, उनकी वादा पूरा करने की आदत, अपने मित्रों और अनुयायियों के प्रति उनकी गहरी दोस्ती, उनकी सहिष्णुता, उनकी निडरता और ईश्वर और अपने मिशन में में उनका पूर्ण विश्वास था जिसने इस्लाम को पूरी दुनिया में फैलाया ।
तलवार के बल पर नहीं बल्कि अपने महान चरित्र के ही के बल पर मुहम्मद साहब आगे बढ़े और हर बाधा को पार किया ।
जब मैंने पैगंबर मुहम्मद की जीवनी के दूसरे खंड को बंद किया, तो मुझे खेद था कि मेरे लिए उस महान जीवन के बारे में पढ़ने के लिए और अधिक नहीं था । ”1
1. Mahatma Gandhi: Young India, Lahore, September 16, 1924