हज़रत मुहम्मद की सच्चाई और ईमानदारी
कुरैश के शरीफों का सबसे बाइंज्जत पेशा सौदागरी और व्यापार था। जब हज़रत मुहम्मद (सल्ल०) कारोबार संभालने के लायक हुए तो आपने इसी पेशे को अपनाया।
आप की नेकी, सच्चाई और अच्छे बर्ताव की शोहरत थी। इसलिए में कामयाबी का रास्ता बहुत जल्द खुल गया। हर मामले में सच्चा वादा करते जो वादा करते उसको पूरा करते।
हज़रत मुहम्मद का अच्छा बर्ताव
आप (सल्ल०) के व्यापार के एक साथी अब्दुल्लाह बताते हैं कि एक बार मैने आप (सल्ल०) से उस ज़माने में खरीदने व बेचने का एक मामला किया। बात कुछ तय हो चुकी थी, कुछ अधूरी रह गई थी। मैंने कहा कि फिर आकर बात पूरी कर लेता हूँ यह कह कर चला गया।
तीन दिन के बाद मुझे अपना यह वायदा याद आया तो मैं दौड़ कर वापस आया तो देखा आप (सल्ल०) उसी जगह बैठे मेरे आने का इन्तिज़ार कर रहे हैं।
आप (सल्ल०) के माथे पर मेरी इस हरकत से बल तक नहीं आया। नर्मी के साथ इतना ही कहा कि तुमने मुझे बड़ी तकलीफ दी, दो-तीन दिन से यहीं बैठा तुम्हारा इन्तिज़ार कर रहा हूँ।
हज़रत मुहम्मद का व्यापार
व्यापार में आप (सल्ल०) हमेशा अपना मामला साफ रखते थे।
साइब नाम के एक सहाबी कहते हैं कि मेरे माँ-बाप आप पर कुर्बान हो।आप (सल्ल०) मेरे साथ व्यापार में शामिल थे, मगर हमेशा मामला साफ रखा, न कभी झगड़ा करते न लीपा पोती करते थे।
आपके कारोबार के एक और साथी का नाम अबूबक्र था वह भी मक्का ही में कुरैश के एक व्यापारी थे। वह कभी-कभी सफर में आप के साथ रहते थे।
कुरैश के लोग हज़रत मुहम्मद (सल्ल०) की अच्छे व्यवहार, ईमानदारी और दियानतदारी पर इतना भरोसा करते थे कि बिगैर सोचे समझे अपना सामान आप को दे देते थे।
बहुत से लोग अपना रुपया पैसा हज़रत मुहम्मद (सल्ल०) के पास अमानत (धरोहर) रखवाते थे और आप (सल्ल०) को अमीन यानी अमानत वाला कहते थे।
हज़रत मुहम्मद के व्यापार के लिए सफर
कुरैश के व्यापारी ज्यादातर सीरिया और यमन के मुल्कों में सफर करके व्यापार का माल बेचा करते थे। हज़रत मुहम्मद (सल्ल०) ने व्यापार का सामान लेकर उन्हीं मुल्कों का सफर किया।